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Founder's Desk

From the Founder’s Desk
Hey, the people of this pious world.
if you are bored by Hinduism, Islamism, Sikhism, Buddhism, Jainism, Christian-ism, Jew-ism, Shinto-ism, Confusius-ism and Taoism. This is my India, this is my Pakistan, this is my America, this is my France, this is my Canada, this is my England etc. are bored by nationalism of these countries etc. If you are bored by the partiality created by black or white color, Brahmanism produced by Brahmans, Kshatriya-ism produced by Kshatriya, Vaishya-ism produced by Vaishya and Shudra-ism produced by Shudra etc. and are bored by socialism, then why don't we all together start new life in which there should be no religion-ism, nationalism, color-ism, socialism and caste-ism No one should be superior or inferior and everyone should have equivalent status.There is only one way and that is only way of ‘’Development & Humanity’’ and if it is said then in reality the aim of life or our ancestors was only ‘’Development & Humanity’’ and the aim of our life is also only ‘’Development & Humanity’’ then why there is so much difference?Our ancestors who were conservative and orthodox related religion-ism, nationalism, color-ism, and socialism, what have they given to us, this only that they made us to kill our brothers, fought among ourselves, made us to do crime and evil upon mother and sister and they made us to pine for every morsel of grain.Then also these factors which filled poison against humanity our ancestors were also caught by them and man became demon, and they now want that we also should come under their influence and become demons. If they are not stopped and their existence is not finished then a day will come that humanity will totally vanish from this earth for always and then the meaning of living of our next generation will totally be finished. Then what is the use of living this life?If your consciousness advises you to eradicate the existence of very dangerous factors like religion-ism, nationalism, color-ism and socialism if new passion is born in you then you make ‘’Development & Humanity’’ your religion, your country and your society.Yes, development is the only way by which we can search our divine God to whom we say irrefutable rule whose existence cannot be found by any man in this world and nor they are able to solve this mysterious illusion.Yes, this is the only path by which the unity of the world will be established and the feeling of welfare of world will be generated and our life will be salvation.Now you brood in your conscience and after brooding if you find that the path of ‘’Development & Humanity’’ is correct then from today only we altogether should keep the foundation of new life, the veins in which poison is flowing against humanity we should make flow nectar in the veins and start a new life.

संस्थापक की कलम से
हे, इस पावन विश्वम्भरा के प्रियजनों !
अगर आप लोग हिन्दुवाद, इस्लामवाद, सिक्खवाद, बुद्धवाद, जैनवाद, ईसाईवाद, यहूदीवाद, शिंतोवाद, कनफ्यूशियसवाद एंव ताओवाद इत्यादि के धर्मवाद से ऊब गए हों, ये मेरा भारत, ये मेरा पाकिस्तान, ये मेरा अमेरिका, ये मेरा फ़्रांस, ये मेरा कनाडा, ये मेरा इंग्लॅण्ड आदि राष्ट्रों के सीमावाद से ऊब गए हों, ये काला, ये गोरा आदि रंग के रंगभेद से ऊब गए हों, ब्राह्मण समाज से उत्पन्न ब्राह्मणवाद, क्षत्रिय समाज से उत्पन्न क्षत्रियवाद, वैश्य समाज से उत्पन्न वैश्यवाद एंव शूद्र समाज से उत्पन्न शूद्रवाद आदि के समाजवाद व जातिवाद से ऊब गए हों, तो क्यों न अब हम सब मिलकर एक नए जीवन की शुरुवात करें, जिसमे न कोई धर्मवाद हो, न कोई रंगवाद हो, न कोई जातिवाद से उत्पन्न समाजवाद हो, न कोई जातिवाद हो, न कोई छोटा हो न कोई बड़ा हो सभी को बराबरी का दर्ज़ा हो ।वह रास्ता सिर्फ एक ही है और वह है सिर्फ एक ''विकास व मानवतावाद'' का रास्ता और कहा जाए तो वास्तव में हमारे पूर्वजों के जीवन का मुख्य ध्येय सिर्फ ''विकास व मानवता'' ही तो था और हमारे जीवन का मुख्य ध्येय भी सिर्फ ''विकास व मानवता'' ही तो है फिर आपस में इतनी भिन्नता क्यों ?आखिर इन धर्मवाद, सीमावाद, रंगवाद व जातिवाद से जुड़े हमारे रुढ़िवादी व कट्टरवादी पूर्वजों ने हमें दिया ही क्या है? यही न की हमसे भाई-भाई का खून करवाया, आपस लडवाया, माँ-बहनों पर जुल्म व भयंकर अत्याचार करवाया एवं हमें अनाज के एक-एक दाने के लिए तरसाया । फिर भी अगर मानवता के खिलाफ जहर भरने वाले इन कारकों जिनकी चपेट में हमारे पूर्वज आ गये और मानव को दानव बना दिया, अब हमें भी अपनी चपेट में लेकर मानव से दानव बना देना चाहते हैं को नही रोका गया व इनके अस्तित्व को समाप्त नहीं किया गया तो एक दिन ऐसा आएगा कि इस दुनिया से हमेशा-हमेशा के लिए मानवता का विनाश हो जायेगा और फिर हमारी आने वाली पीढ़ी का जीवन जीने का ओचित्य ही समाप्त हो जायेगा । फिर ऐसा जीवन जीने का क्या फायदा ?अगर आपकी अन्तर्रात्मा मानवता के खिलाफ भयंकर विनाशकारी कारक, धर्मवाद, सीमावाद, रंगवाद व जातिवाद आदि के अस्तित्व को बदलने की सलाह देती हो, आपके अंदर एक नया जूनून पैदा होता हो तो आप ''विकास व मानवतावाद'' को ही अपना धर्म, अपना राष्ट्र, अपना समाज एवं अपनी जाति बनाइये और विकास कर्म से होता है ।मैं जानता हूँ कि यह ''विकास व मानवतावाद'' का रास्ता बहुत कठिन है मगर यह भी अकाट्य सत्य है कि इन्सान को जन्म सिर्फ एक ही बार मिलता है इसलिए जो करना है हमें इसी अल्पायु में करना है । इस ''विकास व मानवतावाद'' के पथ को छोड़कर आज यह सारा विश्व धर्मवाद, सीमावाद, जातिवाद जैसे मानव विनाशी काटों से भरे रास्ते पर चल रहा है जिस पर कभी भी एकता के फूल उगने की संभावना नहीं है । और यह सारा विश्व एक-दुसरे से नफरत करता नजर आ रहा है । ऐसी नफरत भरी दुनिया में मैं अकेला ही सही मगर मुझे इस पथ पर एकता के फूल खिलने की सम्भावना तो है और देखना ये फूल खिलना शुरू होंगे तो अपनी खुशबू से सबको महका देंगे । फिर सभी के आँगन में एकता के फूल खिलेंगे जो समूचे वातावरण को पवित्र बना देंगे एवं जीवन को प्रेम व आनंद से भर देंगे ।हाँ और ''विकास व मानवतावाद'' ही तो एक मात्र एक ऐसा रास्ता है जिससे हम अपने 'परम पिता परमेश्वर' को भी खोज सकेंगे, जिसे हम 'निराकार सत्ता' कहते हैं जिसके अस्तित्व को संसार का कोई भी मानव आज तक खोज नहीं पाया और न ही इसके रहस्यमयी मायाजाल को सुलझा पाया है !

लोकतांत्रिक सदस्य:
जो व्यक्ति संस्थान को मात्र एक बार सदस्यता शुल्क के रूप में 100 रुपये या इससे अधिक मूल्य की संपत्ति देगा वह संस्थान का लोकतांत्रिक सदस्य होगा तथा चुनाव प्रक्रिया में भाग नहीं लेगा ।

सदस्यता की समाप्ति:
संस्था की सदस्यता की समाप्ति निम्न कारणों से किसी एक कारण के होने पर की जा सकती है ।
किसी सदस्य की अचानक मृत्यु होने पर ।
पागल या दिवालिया हो जाने पर ।
सदस्यता शुल्क अदा न करने पर ।
प्रबंधकारिणी को अपना त्याग पत्र देने पर ।
न्यायालय द्वारा किसी अनैतिक अपराध में दण्डित किये जाने पर ।
लगातार बिना सूचना के तीन बार बैठकों में अनुपस्थित रहने पर ।
अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर ।
संस्थान के विरुद्ध कार्य करने पर ।

संस्थान के उद्देश्य
* मानव कल्याण के विकास हेतु मानवता के विनाश के मजबूत महास्तंभ जातिवाद, धर्मवाद सीमावाद एवं एवं रंगवाद आदि जैसे विनाशकारी शब्दों के मायाजाल से मुक्त कराने हेतु सृजन करना और जिस सृजन-शक्ति के माध्यम से समूचे विश्व को एकता के सूत्र में बाँधने का अथक प्रयास करना ।
* मानव कल्याण के विकास हेतु मानव जागृति का एक महासंग्राम 'विकासवादी महासंग्राम' के माध्यम से सैद्धांतिक, व्यवहारिक, मानसिक और आर्थिक रूप से विकसित बनाना, इसके लिए विभिन्न प्रदर्शनियां लगवाना, गोष्ठियां, सेमिनार एवं प्रतियोगिताएं आदि करवाना ।
* मानव कल्याण के विकास हेतु गरीब, पिछड़े, असहाय विर्द्धों, भिखारियों एवं रोगियों के उत्थान के लिए अनाथालय, विद्धाश्रम, महिला आश्रम, एंव अस्पताल आदि कि निर्माण करवाना ।
* मानव कल्याण के विकास हेतु शिक्षण संस्थाओं का निर्माण करवाना, इसके अलावा पुस्तकालयों, वाचनालयों, छात्रावासों, व्यायामशालाओं एवं प्रयोगशालाओं का निर्माण करवाना ।
* मानव कल्याण के विकास हेतु आध्यात्मिक, सामाजिक, राजनैतिक, शैक्षिक, आर्थिक, प्राकृतिक एवं वैज्ञानिक आदि क्षेत्रों कि विभिन्न समस्याओं का समाधान हेतु उच्च कोटि का अनुसन्धान कर समस्याओं को हल करना, सुझाव देना एवं अनुसंधानिक संस्थाओं का निर्माण करवाना इसके अलावा धार्मिक आदि संस्थाओं का भी निर्माण करवाना ।
* मानव कल्याण के विकास हेतु पर्यावरण एंव उर्जा संरक्षण के अलावा सांस्कृतिक एवं पर्यटन आदि के क्षेत्रों में अधिक बढावा देना जिसके लिए पेड़ पौधे लगवाना, सांस्कृतिक केंद्र एंव पर्यटन स्थलों आदि का निर्माण करवाना ।
* मानव कल्याण के विकास हेतु पायी जाने वाली अनुपजाऊ भूमि को उपजाऊ बनाकर कृषि उत्पादन में लाना एवं कृषि का वृहद् विस्तार करना !
* मानव कल्याण के विकास हेतु हमारे लड़का हो या लड़की दोनों को समान अधिकारों पर जोर देना एवं नारी उत्थान के लिए अथक प्रयास करना इसके अलावा जनसँख्या नियंत्रण के लिए अनेक प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन करवाना ।
* मानव कल्याण के विकास हेतु हमारे समाज में पनप रही एक विकराल विनाशकारी "भ्रष्टाचार" जैसी समस्या के खिलाफ लोगों को जागरूक बनाना ।
* मानव कल्याण के विकास हेतु धर्मवाद स्वराष्ट्रवाद नस्लवाद एवं जातिवादी आदि व्यवस्थाओं से उत्पन्न द्वेष व वे मनुष्यता की भावनाओं को दूर कर उनमें एकता कि भावना का विकास करने का प्रयास करना एवं इनसे उत्पन्न झगड़ों कि जड़ों को ढूंढ कर समाधान करने का अथक प्रयास करना ।
* मानव कल्याण के विकास हेतु स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के प्रति तरह - तरह के जागरूकता अभियानों को चलवाना, पर्यावरण, तथा मनुष्य को हानि पहुँचाने वाले जानवरों, जीव जन्तुओं के संरक्षण तथा उन्हें नष्ट करने हेतु कार्यक्रम बनाना, एड्स तथा कैंसर जैसी खतरनाक बिमारियों से बचने हेतु जागरूकता अभियान चलाना तथा आवश्यकता पड़ने पर एड्स तथा कैंसर के उपचार हेतु चिकित्सालय का निर्माण कराना ।

संस्थापक द्वारा अपील
क्यों न कुछ ऐसा करें .......?
हे इस पावन विश्वम्भरा के प्रियजनों !!
आओ अब सब मिलकर, क्यों न एक नये जीवन की बुनियाद रखें हम,
जब जन्म लिया है इस जग में तो, क्यों न एक महान इतिहास रचें हम,
हम सुन्दर प्राणी इस विश्वम्भरा के तो, क्यों न एक अनुपम उपहार बनें हम,
इस जग में न आई कभी प्रेम-क्रांति तो, क्यों न इस महान क्रांति की शुरुआत करें हम,
जिसमें जाति-धर्म हैं नफरत को पनपाने वाले तो, क्यों न ऐसे शब्दों का परित्याग करें हम,
ये जग तो प्रेम का भूखा है तो, क्यों न प्रेम की बरसात करें हम,
जिनको एक हंसी कभी नसीब न हुई तो, क्यों न उस हंसी की खातिर सर्वस्व कुर्बान करें हम,
मात-पिता को देना है कुछ तो, क्यों न अपना नाम विख्यात करें हम,
अग्रिम पीढ़ी को भी देना है कुछ तो, क्यों न उनके प्रेरणा स्रोत बनें हम,
जब देखे हैं जीवन में सपने तो, क्यों उन सपनो को साकार करें हम,
जब विकास हमारा मकसद है तो, क्यों न विकासवाद की जान बनें हम,
आत्मीयता से भरा है अपना रिश्ता तो, क्यों न मानवता की शान बनें हम,
जब ठान लिया है मन में तो, क्यों न अटल इरादों को और मजबूत बना लें हम ।।

यदि हम सभी इस संसार को कल्पना के स्वर्ग से भी अधिक सुन्दर व पावन बनाकर अपने जीवन लक्ष्य को पूरा करना व जीवन को
सफल बनाना चाहतें हैं तो हम सभी को आज से और अभी से धर्मवाद, जातिवाद रंगवाद व सीमावाद आदि जैसी भयंकर विनाशकारी
भावनाओं से उत्पन्न द्वेष व वेमनुश्यता आदि को भुलाकर हाथ से हाथ ,कंधे से कन्धा मिलाकर पूरे समर्पण, पूरे उत्साह व पूरे जोश के
साथ इस संसार के सुनहरे भविष्य को उज्ज्वल बनाने की ओर अग्रसर हों………….

हमारे व हमारी आने वाली पीढ़ी का भविष्य व इस संसार का भविष्य अब हम सभी के अनुपम हाथों में है ।

हाँ सिर्फ यही एक मात्र ऐसा रास्ता है जिससे विश्व एकता स्थापित होगी तथा विश्व कल्याण की भावना जागृत होगी और हमारे जीवन का उद्धार होगा ।

अब आप अपनी अंतर्रात्मा में मनन करिए और मनन करने के पश्चात् अगर आपको यह ''विकास व मानवतावाद'' का रास्ता सही लगता है तो आओ हम सब मिलकर आज से ही एक नए जीवन की बुनियाद रखें, जिनकी नसों में मानवता के खिलाफ जहर भर चुका है उनकी नसों में अमृत की धारा प्रवाहित कर एक नए जीवन की शुरुआत करें ।

हे इस पावन विश्वम्भरा के प्रियजनों ।
यदि इन विचारों से आपकी भावनाओं को किसी भी तरह का आघात पहुंचे तो कृपा मुझे माफ़ करें क्योंकि मेरा प्रयासरत उद्धेश्य आपकी भावनाओं की आघात पहुचाना बिल्कुल नहीं है ।

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